स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट क्या है? स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट और सामान्य कॉन्ट्रैक्ट में अंतर क्या है? 

यदि आप ब्लॉकचेन, DeFi, मेटावर्स, एनएफटी आदि टेक्नोलॉजी के बारे में सर्च कर रहे हैं तो स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट शब्द अपने जरूर सुना होगा या जब भी हम किसी एप्लीकेशन जैसे टोकन पॉकेट, ट्रस्ट वॉलेट में अकाउंट बनाते या लॉगिन करते हैं तो स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट आता है।

स्मार्ट कॉन्टैक्ट NFT, मेटावर्स आदि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उपयोग किया जा रहा है। तो इस आर्टिकल में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट क्या है? स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के फायदे क्या है? स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के नुकसान क्या है? स्मार्ट कांट्रैक्ट कैसे काम करता है? आदि स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के बारे में जानेंगे।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट क्या है?

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट, सामान्य कॉन्ट्रैक्ट से अलग डिजिटल फॉर्म में दो पक्षों के मध्य कॉन्टैक्ट होता है, जोकि Blockchain पर स्टोर होती है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कंप्यूटर भाषा के SOLIDITY या पाइथन लैंग्वेज आदि किसी भाषा में लिखी हो सकती है। स्मार्ट कॉन्टैक्ट नियम एवं शर्तों पर आधारित लिखी हुई एग्रीमेंट है, मतलब पहले से निर्धारित नियम एवं शर्तें कंप्यूटर भाषा में लिखी हुई है। 

जैसे की जब कोई पक्ष एक शर्त पूरी करता है तो दूसरी शर्त स्वतः ही पूरी हो जाएगी, जोकि पहले से ही ब्लॉकचेन पर लिखी हुई है। सामान्य शब्दों में समझे प्रत्येक स्टेप होने के लिए, अगला स्टेप जो भी होगा वह पहले से लिखा हुआ है। 

सामान्य कॉन्ट्रैक्ट में किसी मध्यस्थ या थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं होती है। स्मार्ट कांटेक्ट में दो शब्द (यदि, तब) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । जैसे की यदि एक स्टेप पूरा हुआ होगा तब दूसरा स्टेप भी स्वतः पूरा हो जाएगा। प्रत्येक स्टेप के बाद अगला स्टेप पहले से ही ब्लॉकचेन पर स्टोर है।

उदाहरण

स्मार्ट कॉन्टैक्ट कुछ भी हो सकता है जिसे हम सामान्य उदाहरण से समझ सकते हैं (ये उदाहरण ब्लॉक चेन पर नहीं भी हो सकते हैं ये केवल समझाने मात्र के लिए हैं)

1. जैसे की किसी निर्धारित समय पर ही नोटिफिकेशन जाना।

2.  पेमेंट और अन्य स्टेप पूरा होने पर ही टिकट होना या मोबाइल रिचार्ज होना। 

3. निर्धारित समय पर ही फंड रिलीज होना या वेहिकल रजिस्ट्रेशन होना। 

उपरोक्त उदाहरण केवल स्मार्ट कांटेक्ट को समझने के लिए लिखे गए हैं, लेकिन स्मार्ट कॉन्टैक्ट ब्लॉकचेन पर स्टोर होकर काम करता है। 

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट और सामान्य कॉन्ट्रैक्ट में अंतर क्या है? 

स्मार्ट कॉन्टैक्ट, कंप्यूटर लैंग्वेज में लिखा गया डिजिटल कॉन्टैक्ट होता है जो नार्मल कॉन्ट्रैक्ट की तरह ही होता है। लेकिन सामान्य कॉन्ट्रैक्ट और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में कुछ अन्य अंतर नीचे लिखे हुए है जोकि इस प्रकार हैं-

1. सामान्य कॉन्ट्रैक्ट हार्ड कॉपी में लिखा हो सकता है, लेकिन स्मार्ट कांटेक्ट कंप्यूटर लैंग्वेज में लिखा जाता है जैसे की सॉलिडिटी या Python आदि भाषा में।

2. सामान्य कॉन्ट्रैक्ट में मध्यस्थ की जरूरत पड़ती है, लेकिन स्मार्ट कांटेक्ट में केवल दो पक्षों के मध्य एग्रीमेंट होता है और मध्यस्थ की जरूरत नहीं होती है।

3. स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट एक बार ब्लॉकचेन में पूरा हो जाने पर बदला नहीं जा सकता है, लेकिन सामान कॉन्ट्रैक्ट में फेर बदल की जा सकती है।

4. ब्लॉकचेन पर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट सुरक्षित रहते हैं और कभी भी देखें जा सकते हैं मतलब नष्ट नहीं होंगे, लेकिन सामान्य कॉन्ट्रैक्ट हार्ड कॉपी में होने के कारण कुछ समय बाद नष्ट हो सकते हैं और खो भी सकते हैं। 

5. स्मार्ट कांटेक्ट में समय बर्बाद नहीं होता है और बहुत कम समय में एग्रीमेंट हो जाता है, लेकिन सामान्य कॉन्ट्रैक्ट में दोनों पार्टी और मध्यस्थ को एक साथ मिलकर एग्रीमेंट करते हैं जिसमें समय की बर्बादी होती है।

6. स्मार्ट कॉन्टैक्ट सस्ता पड़ता है, लेकिन सामान्य कॉन्ट्रैक्ट महंगा पड़ता है।

7. स्मार्ट कॉन्टैक्ट ब्लॉकचेन पर स्टोर होते हैं, जबकि सामान्य कॉन्टैक्ट हार्ड कॉपी में फिजिकल फॉर्म में हो सकता है।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के फायदे क्या हैं ?

1. सुरक्षा – स्मार्ट कॉन्टैक्ट ब्लॉकचेन पर इंक्रिप्टेड होते हैं, जिनको बहुत मुश्किल या कहे तो हैक करना नामुमकिन है। क्योंकि बहुत से नोड मिलकर ही ब्लॉक चेन बना होता है और कोई भी रिकॉर्ड प्रत्येक नोड पर स्टोर हो जाता है। 

इसलिए यदि एक नोड में हैकर द्वारा कोई छेड़खानी या बदलाव करने की कोशिश की जाती है तो अन्य नोट पर रिकॉर्ड उपलब्ध होने के कारण हैकर को आसानी से पकड़ा जाएगा। जब कोई भी डाटा, प्रत्येक नोड के 50% से अधिक नोड में बदलाव होगा, तभी ब्लॉक चैन पर उपलब्ध डाटा में बदलाव होगा जो कि असंभव है।

एक नोड में बदलाव के लिए काफी समय व बिजली की जरूरत पड़ती है तो 50% से अधिक नोट में बदलाव के लिए बहुत समय व बिजली की जरूरत पड़ेगी जो की नामुमकिन है।

2. बचत – स्मार्ट कॉन्टैक्ट मध्यस्थता को खत्म करता है जिस कारण समय की व पैसों की बचत होती है, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट केवल दो पक्षों के मध्य होता है।

3. विश्वास एवं पारदर्शिता – स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में तीसरे किसी व्यक्ति, संस्था या बैंक आदि की जरूरत नहीं है। व सभी डाटा ब्लॉकचेन पर इंक्रिप्टेड यानी कोडड होता है एवं जो भी डाटा होता है, वह सभी लोगों के पास एक जैसा ही होता है, इसमें डाटा में बदलाव नहीं किया जा सकता है।

4. पेपर वर्क की जरूरत नहीं – सभी प्रोसेस डिजिटल फॉर्म में होती है एवं सभी काम तेज एवं स्वतः ही होता रहता है। जब एक शर्त पूरी होती है तो अगली प्रक्रिया स्वत: हो जाती है। यहां फिजिकली रूप में डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं पड़ती हैं।

5. थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं पड़ती है।

6. कंप्यूटर प्रोग्रामिंग होने के कारण दूसरी प्रक्रिया स्वयं हो जाती है।

7. रॉयल्टी पेमेंट में भी स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का उपयोग हो रहा है।

8. B2B डाटा मार्केटप्लेस में, जहां यूजर कुछ खरीदने व बेचते हैं।

9. इलेक्ट्रल पोल में। 

10. रियल स्टेप में।

11. डिजिटल आईडी कार्ड में। 

12. स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में मरीज का डाटा स्टोर करने में।

13. De-Centralized Finance Application में।

14. सप्लाई चैन मैनेजमेंट में।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के नुकसान क्या है?

1. स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में मध्यस्थ, बैंक, ब्रोकर या सरकार का कोई रोल नहीं होता है इसलिए कोई भी नुकसान के लिए सिर्फ आप ही जिम्मेदार होंगे। बीच में कोई विवाद आने पर सरकार कुछ नहीं कर सकती है। 

2. स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट लिखते समय यदि कोडिंग में कोई कमी रह जाती है तो हैकर्स द्वारा स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट मे छेड़खानी या बदलाव किया जा सकता है, जैसे कि 2016 में DAO अटैक हुआ था।

3. ये लचीलापन नहीं है क्योंकि स्मार्ट कांट्रैक्ट पर सारी प्रक्रिया स्वत: ही चलती है इसलिए एक स्टेप के बाद अगला स्टेप्स स्वत: ही पूरा हो जाएगी जिसे रोकना नामुमकिन है।

मुख्य स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट टूल क्या है ?

Boring Solidity, Chain Link, Ethcode, Octopus, Solidity, Open Zeppelin आदि।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का इतिहास क्या है एवं स्मार्ट कांट्रैक्ट कैसे बनाएं?

सबसे पहले 1990 के दशक में निक स्जाबो ने स्मार्ट कांट्रैक्ट का विचार रखा। उसके बाद Vitalik Buterin ने 2013 में स्मार्ट कांट्रैक्ट और ब्लॉकचेन को एक साथ जोड़ा। स्मार्ट कांट्रैक्ट में SOLIDITY प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग करके बनाया जाता है। एथिरियम में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाना आसान होने के कारण बहुत से स्मार्ट कांट्रैक्ट एथेरियम में ही मौजूद है। इसके अलावा कार्डेनो, स्टेलर, और हाइपर लेजर, फैब्रिक नाम जैसे नेटवर्क पर भी स्मार्ट कांट्रैक्ट बना सकते हैं।

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